एक गरिब की झोपड़ी में सुकुन की छाव नही है । बाहर ह | हिंदी Video

"एक गरिब की झोपड़ी में सुकुन की छाव नही है । बाहर ही पडी है बैसाखी उसका एक पाव नहीं है। कितने तुफान आये है उसके समुदर में वह पार करना चाहता है लेकिन उसके पास कोई नाव नही है। रूपया रुपया जूटा रहा है मांग मांग कर वह खरिदना चाहता है कुछ अपनी पंसद का पर दुकान पर लिखा है आज कुछ भी उधर नही हैै। कोई दो रूपया देता, कोई एक भी नही। फटे कपडे़ अब गरिबो की पहचान थोडी है। कितने जाम पिये उसने हिसाब थोडी है। वह तो कबका मर चूका है जनाब आप कहते हो जिंदा है मत जलाओ यह समशान उसके नाम थोडी है। ©SIDDHARTH.SHENDE.sid "

एक गरिब की झोपड़ी में सुकुन की छाव नही है । बाहर ही पडी है बैसाखी उसका एक पाव नहीं है। कितने तुफान आये है उसके समुदर में वह पार करना चाहता है लेकिन उसके पास कोई नाव नही है। रूपया रुपया जूटा रहा है मांग मांग कर वह खरिदना चाहता है कुछ अपनी पंसद का पर दुकान पर लिखा है आज कुछ भी उधर नही हैै। कोई दो रूपया देता, कोई एक भी नही। फटे कपडे़ अब गरिबो की पहचान थोडी है। कितने जाम पिये उसने हिसाब थोडी है। वह तो कबका मर चूका है जनाब आप कहते हो जिंदा है मत जलाओ यह समशान उसके नाम थोडी है। ©SIDDHARTH.SHENDE.sid

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