ये जमीं जब खून से तर हो गई है,
ज़िन्दगी कहते हैं बेहतर हो गई है,
हाथ पर मत खींच बेमतलब लकीरें,
मौत हर पल अब मुक़द्दर हो गई है।
हम अपनी मौत खुद मर जायेंगे सनम,
आप अपने सर पर क्यूँ इलज़ाम लेते हो,
जालिम है दुनिया जीने न देगी आपको,
आप क्यूँ अपनी जुबां से मेरा नाम लेते हो।
©Ramdayal Kumar