#MessageOfTheDay #*एक दीवाना मौला था एक पगली थी दीवानी.........*#
लिख रहा हूँ सौ वर्ष पूर्व की इक कहानी
एक दीवाना हरी था एक मल्लिका थी दीवानी
हरी था अजमेर का पर मल्लिका थी बलुचिस्तानी
प्रेम को समझाने रची गयी लहू से लथपथ कहानी
क़फ़न बांध सर पर घूमता था युवाओं की जवानी
आजादी की लाड़ाई में हरी ने दे दी अपनो की कुर्बानी
मल्लिका भी लड़ाई में भूल गयी थी क्या होता है पानी
वतन के खातिर युवाओं ने रची थी सम्मेलन "सुहानी"
सम्मेलन में मिले दोनो दिवाने पर नज़रे थी अनजानी
जोश में थे आज़ादी के पर कुछ तो हो रहा था बेगानी
दिल धड़कता था हरी का जब देखे नयना इक दीवानी
हर पल यादो में खोये रहते थे सपनो के राजा रानी
हरी ने प्रेम प्रस्ताव क्या रखा दीवानी हो गयी मस्तानी
दो अलग धर्म के घर वालों ने दीवानों की बात ना मानी
सायद मंजूर ना था खुदा को भी इन दोनो की प्रेम कहानी
आज़ादी तो मिली पर बढ़ गयी दो वतनो की खिचातानी
हिंदुस्तानी बना हरी और मल्लिका हो गयी पाकिस्तानी
सीमाए रंगी थी खून से पर दिल कर रहा था मनमानी
मल्लिका हुई बेहोश सोचकर अब ईश्क़ होगी गवानी
पर दीवाना आ पहुँचा बन कर एक हक़ीम खानदानी
हरी के छूते ही मल्लिका का रूह हो गया पानी पानी
हरी ने चुपके से बताया कैसे ये वेश उसे पड़ी बनानी
मल्लिका हरी संघ निकल पड़ी बनने एक हिंदुस्तानी
अब्बा ने तलवार उठा ली जब ये बात उनहोंने जानी
शिव जी के मंदिर में दोनों को जल्दी शादी पड़ी रचानी
जब तक अब्बा पहुँचे मल्लिका हो गयी हरी की रानी
हमला किया हरी पर पर सामने आ गयी बिटिया सयानी
अब्बा का दिल भी पिघल गया धर्म रीत पड़ी उन्हे भुलानी
आजादी की खुशी थी और शादी की खुशी भी थी मनानी
प्रेम की बगिया मे सिमट गए बीते लम्हों की कहानी
लिख दिया मैंने दिल से दिल तक की कहानी
एक दीवाना मौला था एक पगली थी दीवानी.........
©Devesh mani Yadav
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