अंतर के गृह - युद्ध से, बल-मद टूटा जाय। हरि ने | हिंदी Poetry

"अंतर के गृह - युद्ध से, बल-मद टूटा जाय। हरि ने करुण पुकार पे, गज को लिया बचाय।। ©Shiv Narayan Saxena"

 अंतर  के  गृह - युद्ध  से, बल-मद  टूटा जाय।
हरि ने करुण पुकार पे, गज को लिया बचाय।।

©Shiv Narayan Saxena

अंतर के गृह - युद्ध से, बल-मद टूटा जाय। हरि ने करुण पुकार पे, गज को लिया बचाय।। ©Shiv Narayan Saxena

#सुप्रभातम हरि ने करुण..... hindi poetry

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