इश्क ने भी क्या खूबसूरत अंजाम पाया,
जब चाँद पहली दफा चांदनी को देख मुस्कुराया,
चांदनी ने नज़रें झुकाकर, शर्माकर,
अपना चेहरा दोनों हथेलियों के आँचल तले छुपाया,
चाँद ने इश्क ए इज़हार फरमाया,
चांदनी ने कुबूल कुबूल कुबूल कहकर,
चाँद में खुद को समा,
इश्क का पैगाम फैलाया,
चाँद और चांदनी के संगम ने अँधेरी रातों को रोशन बनाया,
इश्क ने भी क्या खूबसूरत अंजाम पाया |
©Amandeep Singh
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