तुम जब तक सुनतीं जाओगी,
मैं तब तक बंसी सुनाऊं राधे,
सभी को मेंने आशीष दिया,
यूं किस पर चक्र उठाऊं राधे,
बंसी छोड़ी, छोड़ी मैंने द्वारिका भी,
इंद्रप्रस्थ कब तक ठुकराऊं राधे,
पिछले जन्म तुम थी जानकी,
कहो कैसे इक क्षण भी बिताऊं राधे,
रह कर तुमसे इतने दूर,
अब कैसे न अश्रु बहाऊं राधे,
तुम जब तक सुनतीं जाओगी,
मैं तब तक बंसी सुनाऊं राधे।
©Shreya Shukla