चाय हो या चाह ...... तलब बेचैन कर ही देती है। ©वि | हिंदी Shayari

"चाय हो या चाह ...... तलब बेचैन कर ही देती है। ©विवेक कुमार"

 चाय हो या चाह ......
तलब बेचैन कर ही देती है।

©विवेक कुमार

चाय हो या चाह ...... तलब बेचैन कर ही देती है। ©विवेक कुमार

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