ऑंखे तो छुपा ली तुमने
पर गम तुम्हारे अब भी
नजर आ रहे है ,
जर इन्हें भी छुपाने का
इंतजाम करो..
मेहबूब रूठा है
तो क्या हुआ
उसे मनाने का
इंतजाम करो
हमे तरकीब पता है
गम भूलाने की
जरा शाम को बैठने
का इंतजाम करो
हमारे भी गम बहोत जादा है
साथ देने आऍंगे तुम्हारा हम
जरा हमारे ठहरने का
इंतजाम करो ..
#Februarycreator