White किताबों की अष्ठियों से उसने खुद की ज़िन्दगी जलायी है ।
वो चार पैसे कमाने ख़ुद को शहर ए लखनऊ लायी है ।
गुबजर के ग़ालिब और हकीम सब ख़ाक मे मिल गए
ज़ब वो माँ बनने पर उतर आयी है ।
शायरों से लिखें ना गए, कलम भी कांप गयी,
ये जो लड़की जिस आह को जी आयी है।
बिना ब्याह के ज़ब से वो विचारगत तौर पे माँ बन आयी है।।
©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
#rajdhani_night