बचपन मे 1 ₹  की पतंग के पीछे  2 की.मी. तक भागते थे

"बचपन मे 1 ₹  की पतंग के पीछे  2 की.मी. तक भागते थे... न जाने कीतने चोटे लगती थी... वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी... आज पता चलता है,  दरअसल वो पतंग नहीं थी;  एक चेलेंज थी... खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है... वो दुकानो पे नहीं मिलती... शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!! IG:- words_with_heart_ ©Harish Labana"

 बचपन मे 1 ₹  की पतंग के पीछे 
2 की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी...

आज पता चलता है, 
दरअसल वो पतंग नहीं थी; 
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...

शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!!

IG:- words_with_heart_

©Harish Labana

बचपन मे 1 ₹  की पतंग के पीछे  2 की.मी. तक भागते थे... न जाने कीतने चोटे लगती थी... वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी... आज पता चलता है,  दरअसल वो पतंग नहीं थी;  एक चेलेंज थी... खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है... वो दुकानो पे नहीं मिलती... शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!! IG:- words_with_heart_ ©Harish Labana

मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं
#makarsankranti

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