White ग़ज़ल(तस्कीन ए दिल)
तस्कीन ए दिल का इंतजाम करे कोई,
आज फिर बदनाम सर ए आम करे कोई।
गम ए दिल में अब नहीं कोई पैगाम,
वो आ गए सर ए बाम क्लाम करे कोई।
दिल से जाती रही हर ख्वाहीस ए नाम,
बीती हर शाम अपने नाम करे कोई।
आखिर लब पे आ ही गया वो नाम,
किस्सा हुआ तमाम दुआ सलाम करे कोई
अब इस दिल को नही ज़रा भी आराम,
ढल चुकी शाम इंतजाम ए जाम करे कोई।
©Dr.Javed khan
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