फर्क पड़ता है फर्क पड़ता है तब जब दिखाती हूँ को | हिंदी Poetry Video

"फर्क पड़ता है फर्क पड़ता है तब जब दिखाती हूँ कोई फर्क पड़ता नहीं/ बहुत दुखता है जब दिखाती हूँ कोई दर्द नहीं/ बहुत कुछ कहना हो तो ओढ़ लेती हूँ खामोशी/ पास आना चाहती हूँ तो खुद को खींच लेती हूँ तुझ से दूर कितने रोड़े अटकाती हूँ खुद को तेरी समझने की कोशिशों में/ और फिर खुद ही लगा भी देती हूँ इल्जाम कि तू तो मुझे समझता ही नहीं.... ©Gυᴅιʏɑ ツ "

फर्क पड़ता है फर्क पड़ता है तब जब दिखाती हूँ कोई फर्क पड़ता नहीं/ बहुत दुखता है जब दिखाती हूँ कोई दर्द नहीं/ बहुत कुछ कहना हो तो ओढ़ लेती हूँ खामोशी/ पास आना चाहती हूँ तो खुद को खींच लेती हूँ तुझ से दूर कितने रोड़े अटकाती हूँ खुद को तेरी समझने की कोशिशों में/ और फिर खुद ही लगा भी देती हूँ इल्जाम कि तू तो मुझे समझता ही नहीं.... ©Gυᴅιʏɑ ツ

फर्क पड़ता हैं .

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