कभी कभी खयाल आता है कि
क्या मैं जो कर रही हूँ
सही कर रही हूँ?
मुझे सच में
वो सबकुछ करना चाहिए
जो मेरा मन करता है?
माना कि है आत्मा थोड़ीसी नाराज मेरी
पर क्या आत्मा खुश होगी
मन का कहना मानने से?
मुझे मुझसे ही दूर करने से?
कभी कभी मैं ये भी सोचती हूँ..
हक नही है मुझे मेरे मन के मुताबिक
जीने का..
मन की थोड़ीसीही सुनने का
गर है तो..
और गर नही है तो भी..
मैं वही करुँगी जो
मेरे अपनों के हित में हो.....
मी माझी.....
©Sangeeta Kalbhor
#khayal