सिलसिला दर्द का मुसलसल है ज़िंदगी में कहीं तो हलचल | हिंदी Shayari Vid

"सिलसिला दर्द का मुसलसल है ज़िंदगी में कहीं तो हलचल है! भूलने में जिसे लगीं सदियां सोचता हूं तो साथ पल पल है। है अधूरी सी ज़ात अपनी भी ज़ात में इक ख़ला मुकम्मल है। कशमकश से भी कुछ नहीं मिलता चाहतों की ज़मीं पे दलदल है। © Aliem "

सिलसिला दर्द का मुसलसल है ज़िंदगी में कहीं तो हलचल है! भूलने में जिसे लगीं सदियां सोचता हूं तो साथ पल पल है। है अधूरी सी ज़ात अपनी भी ज़ात में इक ख़ला मुकम्मल है। कशमकश से भी कुछ नहीं मिलता चाहतों की ज़मीं पे दलदल है। © Aliem

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