अक्सर लोग मुझे पूछते हैं मुझे
क्या तुम्हें
किसी चीज की चाह नहीं
क्या तुम्हारे सपने नहीं है
क्या तुम्हें कुछ नहीं चाहिए
क्या बताऊं यारों
बंद कमरे में कैद है
सारी ख्वाहिशें
जिसका कोई दरवाजा नहीं
सारे सपने सिमट कर रह गय
तालों की चाबी ढूंढते ढूंढते
इन चार दीवारों में ही हम रह गए
©Pritam Nayak Chhotu
#spark #ख्वाहिशें