न है घर का रिश्ता , न है खून का रिश्ता
मानो जैसे है वो मेरा फरिश्ता ,
उसके जितना कोई समझ ना पाता
ऐसा दोस्त कभी इतफाक नहीं होता
कभी डाटा , कभी मनाया , कभी हसाया
जो सही था उसके बल बढ़ना सिखाया
जब कोई नहीं आया , वो आगे डता रहा
ऐसा दोस्त कभी इतफाक नहीं होता ।
मेरे लिए दुनिया से लड़ा ,
खुद घायल बनकर मुझे जिताया ,
ऐसा दोस्त कभी इतफाक नहीं होता ।
-rahee Gandhi
#Friendship