बहुत अंधेरी रात है
कहीं कहीं दिये टिमटिमा रहे हैं
सायं सायं करती तीखी ठंडी
हवा चल रही है
ऐसे में ऊर्जा कहां बचती है
सब भय से दुबके हुए हैं
दूर पहाड़ी के पास भेड़िए गुर्रा रहे हैं
कभी गली के कुत्ते का विलाप
रात को और उदास बना रहा है
सोच रहा हूं कैसे कटेगी यह रात
बहुत अंधेरी डरावनी रात है।
©KRISHNA
#SRK&Katrina