अब हर शाम उसकी दहलीज़ पर,
सजदा करने के लिए जाते हैं हम.........
होता है ज़िक्र उसका महफ़िल में,
जाने क्यों बेइंतहा मुस्कुराते हैं हम.........
हर रात होता है कुछ यूं हमारे साथ,
आज-कल न जाने क्यों मेरे यारों...........
सोते वक्त रात को उसके ख़्वाबों में,
डूबकर अक्सर मर ही जाते हैं हम..........
©Poet Maddy
अब हर शाम उसकी दहलीज़ पर,
सजदा करने के लिए जाते हैं हम.........
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