White ज़रूरतें, जिम्मेंदारीयाँ और ख्वाहिशें,
तीनों में ही दिन गुज़र जाता है
कितना भी सोचूं
कुछ तो अधूरा रह जाता है
पाना तो चाहता हूं खुशियाँ सारी
पर दामन छोटा पड़ जाता है ।
नन्ही नन्ही खुशी समेटू
दुःख को दिल बिसराता है
दिन हो गए कम हँसी के
अब मन थोड़े से भर जाता है
नींद का अब पता नही
ख्वाब आंखो में रह जाता है
किस को अब हम अपना समझे
आस्तीन से ही सांप निकल आता है
जीवन चक्र है आना जाना
आज का सपना कल मर जाता है ।
©Love Joshi
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