जीवन में मैंने यह महसूस किया है कि
जब कभी मैं बहुत लोगो के बीच में होता था
और बहुत अधिक बोलता था
तब मेरे शब्दों का मोल कम था
लेकिन "कई साल एकांत" में रहने के बाद
अब जो भी मैं कहता हूँ
तो दुनियां मुझें बहुत ध्यान से सुनती है
और मेरे शब्द "अनमोल" हो गए है
और बहुत कम भी,
अर्थात अपने शब्दों का अनावश्यक व्यर्थ प्रयोग न करे
क्यूँकि उससे आपका ही महत्व कम होता है...
©कृतांत अनन्त नीरज...
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