green-leaves ज़िंदगी की पीड़ा आंखों में उतर आई है,
हर ख़्वाब की तस्वीर धुंधलाई है।
सुर्ख लालिमा छाई है इन नज़रों में,
शायद दर्द ने फिर दास्तां सुनाई है।
खामोशी अब चीखने लगी है,
हर सांस ग़म से भरने लगी है।
मोहब्बत की राहों में खो गए थे कभी,
अब तो बस तन्हाई ही सच्चाई है।
©Ravi Kumar
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