प्रिये दादा जी ऊंगली पकड़ कर तूने चलना सिखाया था
थक जाया करती थी तूने कंधों पर उठाया था
तुम थे वो राही जिन संग चलना सीखा था
आज तेरी याद ने मुझे सबसे ज़्यादा रुलाया था
लौट आओ ना दादू मुस्कान चेहरे से गायब हो गयी है
दी हुई मुस्कान तेरी ना जाने कहा सो गयी है
आज तेरी अंजली दादू और अकेली हो गयी है।।
I miss you dadu ji
©vansh kataria
#Oldpeople