राह चलते चलते वो मोड़ आए
जिस मोड़ तेरा जिक्र आए
उन गलियों की शोर भी तुम्हें याद दिलाए
कि तेरा महबूब गुजरा उन गलियों से जाए.........
तू राह देखता रहे
वो वक्त भी बीत जाए!
उस शोर की भीड़ में तुझे
तेरा वर्षों का अरमान मिल जाए.....
तेरे होने से वो सारे फर्क मिट जाए
ये तेरी दूरी मिलो से नहीं
दिल की करीबी से सिमट जाए......
वो एक वक्त भी आए
तू सांझ सा खूबसूरत मेरे सामने नजर आए....
यूं तो ढ़ल जाती है हर शाम...
तू सूरज सा उगता दोबारा अपने महबूब से मिलने आए......
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©SAGUN (Manisha)
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