जब मन बाहरी कोलाहल से हो जाता है परेशान निकल पड़त | हिंदी Video

"जब मन बाहरी कोलाहल से हो जाता है परेशान निकल पड़ती हूं संगीत का तान लिए हाथों में वीणा वाद्य लिए पहाड़ों के सुनसान में नदियों और झीलों से बहती निर्मल जल के धार के संगीत में जलतरंगों के तेज बहाव में सुर में सुर मिला कर मन का विकार निकालती हुं इस अशांत मन को पूर्णतः प्रसन्न मुद्रा में खुद को ढालती हूं ©Pooja Priya"

जब मन बाहरी कोलाहल से हो जाता है परेशान निकल पड़ती हूं संगीत का तान लिए हाथों में वीणा वाद्य लिए पहाड़ों के सुनसान में नदियों और झीलों से बहती निर्मल जल के धार के संगीत में जलतरंगों के तेज बहाव में सुर में सुर मिला कर मन का विकार निकालती हुं इस अशांत मन को पूर्णतः प्रसन्न मुद्रा में खुद को ढालती हूं ©Pooja Priya

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