मेरी कश्ती यूं ही भटकते- भटकते एक किनारे तक आ पहु | हिंदी Shayari Vide

"मेरी कश्ती यूं ही भटकते- भटकते एक किनारे तक आ पहुंची, सोचा कुछ गुफ्तगू भी कर लूं न जाने फिर कहां ये लहरें मुझे ओढ़ कर अपने साथ ले चली अब क्या कहे कि पानी में समा कर भी हम तो प्यासे ही रह गए । ©Ambika Dhami "

मेरी कश्ती यूं ही भटकते- भटकते एक किनारे तक आ पहुंची, सोचा कुछ गुफ्तगू भी कर लूं न जाने फिर कहां ये लहरें मुझे ओढ़ कर अपने साथ ले चली अब क्या कहे कि पानी में समा कर भी हम तो प्यासे ही रह गए । ©Ambika Dhami

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