वोह कहती तुम्हारी आखें बहुत साफ़ हैं मैं कुछ सोच क | हिंदी Shayari

"वोह कहती तुम्हारी आखें बहुत साफ़ हैं मैं कुछ सोच कर हस पड़ा.. उस बेखबर को क्या खब्र थी कि अकसर बारिश़ के बाद ही मौसम निखरता है... . ©Rajbir Singh Batth"

 वोह कहती तुम्हारी आखें बहुत साफ़ हैं
मैं कुछ सोच कर हस पड़ा..
उस बेखबर को क्या खब्र थी कि अकसर
 बारिश़ के बाद ही मौसम निखरता है...














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©Rajbir Singh Batth

वोह कहती तुम्हारी आखें बहुत साफ़ हैं मैं कुछ सोच कर हस पड़ा.. उस बेखबर को क्या खब्र थी कि अकसर बारिश़ के बाद ही मौसम निखरता है... . ©Rajbir Singh Batth

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