शाम आ गयी फिर रियाज़ी (हिसाब) के लिए, दिन भर की ग | हिंदी Motivation V

"शाम आ गयी फिर रियाज़ी (हिसाब) के लिए, दिन भर की गई मशक़त- बाज़ी के लिये, कुछ टूटे,कुछ जुड़े,कुछ महके,कुछ दहके, उम्र के लम्हे गुजर गए सबमें राज़ी के लिए! ©Dr. Nishi Ras (Nawabi kudi) "

शाम आ गयी फिर रियाज़ी (हिसाब) के लिए, दिन भर की गई मशक़त- बाज़ी के लिये, कुछ टूटे,कुछ जुड़े,कुछ महके,कुछ दहके, उम्र के लम्हे गुजर गए सबमें राज़ी के लिए! ©Dr. Nishi Ras (Nawabi kudi)

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