अंधियारा नित बाढता, बौना हुआ उजास।
राहु सूर्य को खा रहा, शशि करता परिहास।
शशि करता परिहास, मौन हैं सभी दिशाएं।
जुगनू मिलकर आज, दीप को ज्ञान सिखाएं।
कहें करन परिहार, कुमति ने सबको मारा।
उजियारे को छोड़, मनुज ढूंढे अंधियारा।
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©करन सिंह परिहार
#जुगनू