आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर आते थे चल | हिंदी Shayari

"आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर आते थे चले आप जो लगती थी ज़रा देर सो आके बुढ़ापे ने किया हाय ये अंधेरे जो दौड़ के मिलते थे वो अब हैं मुंह फेर ©Mannu Dutt"

 आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर
       आते थे चले आप जो लगती थी ज़रा देर 
   सो आके बुढ़ापे ने किया हाय ये अंधेरे 
    जो दौड़ के मिलते थे वो अब हैं मुंह फेर

©Mannu Dutt

आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर आते थे चले आप जो लगती थी ज़रा देर सो आके बुढ़ापे ने किया हाय ये अंधेरे जो दौड़ के मिलते थे वो अब हैं मुंह फेर ©Mannu Dutt

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