इन आड़े टेढ़े उलझी हुई हाथों की लकीरें ये बेफिज़ | हिंदी Poetry Video

"इन आड़े टेढ़े उलझी हुई हाथों की लकीरें ये बेफिज़ूल की किस्मत पर बातें कमज़ोर बना देती हैं एक इंसान को चोट पहुंचाते हैं आत्मविश्वास को ।। लकीरों का क्या ये तो खुद में उलझी हुईं हैं इन में क्या लिखी होंगी भविष्य की बातें ये क्या तय करेंगी किसी की हसरतें ।। बदला जा सकता है अपनी किसमत को गढ़ा जा सकता है नए लकीरों को ।। जरूरत है तो बस मेहनत की दृढ़ संकल्प और कड़ी तपस्या की ताकि लिखी जा सके सफलता की स्वर्णिम गाथाएँ दर्ज हो सके कामयाबी की अमर कथाएं ।। जिसे पढ़ कर , जिसे सुन कर हर कोई हो जाए भरपूर आत्मविश्वास से और कभी ना देखे उन आड़े टेढ़े हाथों की लकीरों को सिवाय खुद का मेहनत के भरोसा ना करे किसमत को ।। ©LAFZ E RIMA "

इन आड़े टेढ़े उलझी हुई हाथों की लकीरें ये बेफिज़ूल की किस्मत पर बातें कमज़ोर बना देती हैं एक इंसान को चोट पहुंचाते हैं आत्मविश्वास को ।। लकीरों का क्या ये तो खुद में उलझी हुईं हैं इन में क्या लिखी होंगी भविष्य की बातें ये क्या तय करेंगी किसी की हसरतें ।। बदला जा सकता है अपनी किसमत को गढ़ा जा सकता है नए लकीरों को ।। जरूरत है तो बस मेहनत की दृढ़ संकल्प और कड़ी तपस्या की ताकि लिखी जा सके सफलता की स्वर्णिम गाथाएँ दर्ज हो सके कामयाबी की अमर कथाएं ।। जिसे पढ़ कर , जिसे सुन कर हर कोई हो जाए भरपूर आत्मविश्वास से और कभी ना देखे उन आड़े टेढ़े हाथों की लकीरों को सिवाय खुद का मेहनत के भरोसा ना करे किसमत को ।। ©LAFZ E RIMA

हाथों की लकीरें


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