एक पुराना प्रिय श्रृंगार रस का मुक्तक आप सभी के बीच जिसमें मैंने नायक की नायिका पर नज़रों के असर का वर्णन किया है 😊
नयन से जो बरस जाए वो बादल करके छोड़ेगी ।
मोहब्बत ये तेरी मुझको तो पागल करके छोड़ेगी।
ज़माने की नज़र से तो बचा लू ख़ुद को मैं लेकिन,
नज़र तेरी मुझे जानम/साजन ये घायल कर के छोड़ेगी।
©Er.आयुषी गुप्ता
©ayushigupta