संग आपके चल रहे हैं तो मालूम पड़ा की खुदा की रहमत | हिंदी Shayari

"संग आपके चल रहे हैं तो मालूम पड़ा की खुदा की रहमत क्या है वरना हम तो क़फीर थे, बगैर आपके सब कुछ तो था फिर भी आपके बिना हम मुहाज़िर थे,, कुमार ©kumar Abhishek Bhartiya"

 संग आपके चल रहे हैं तो मालूम पड़ा की खुदा की रहमत क्या है वरना हम तो क़फीर थे,
बगैर आपके सब कुछ तो था फिर भी आपके बिना हम मुहाज़िर थे,,


कुमार

©kumar Abhishek Bhartiya

संग आपके चल रहे हैं तो मालूम पड़ा की खुदा की रहमत क्या है वरना हम तो क़फीर थे, बगैर आपके सब कुछ तो था फिर भी आपके बिना हम मुहाज़िर थे,, कुमार ©kumar Abhishek Bhartiya

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