कहां मिलते हैं दिलवाले हमें
सब मिलते हैं दिल के काले हमें
दिल के जालिम बहुत हैं' सत्या'
ए खुदा आकर बचा ले हमें
अकेला रहता हूं तो बहुत खुश हूं
ये दुनिया तो यार मार डाले हमें
कोई खुला ही है नहीं इश्के दर
हर दर पर लगे मिलते ताले हमें
उसका बस नहीं चलता साहब
वो कर दे गमों के हवाले हमें
©Satendra Kumar "Satya" Shaayar
बिन्दास शायरी