माँ" मेरे जीवन की अद्भुत संस्कृति है वो, जो हर प | हिंदी कविता Vi

""माँ" मेरे जीवन की अद्भुत संस्कृति है वो, जो हर पीड़ा सह जाये ऐसी दिव्य शक्ति हैं वो, मेरी श्वासों का आवागमन हैं वो, मेरे ह्रदय का पवित्र भजन हैं वो, मेरे जीवन का हर वेद - पुराण हैं वो, मेरी कठिनाइयों में गीता का जीवंत प्रमाण हैं, मेरे कंटक भरे पथों में पुष्पों की बहार हैं वो, मेरे हर अनसुलझे प्रश्नों का स्पष्ट सार हैं वो, गुरु सी उपदेशक भी हैं वो, ईश्वर सी सही दिशा निर्देशक भी हैं वो, सौन्दर्यता की अनुपम खान हैं वो, ममता का अतुलनीय मान हैं वो, उसकी मुस्कुराहट बिना जीवन में कुछ भी नहीं, मेरे संपूर्ण आस्तित्व का आधार हैं वो... 👣🙏❤ ©Anamika Patel "

"माँ" मेरे जीवन की अद्भुत संस्कृति है वो, जो हर पीड़ा सह जाये ऐसी दिव्य शक्ति हैं वो, मेरी श्वासों का आवागमन हैं वो, मेरे ह्रदय का पवित्र भजन हैं वो, मेरे जीवन का हर वेद - पुराण हैं वो, मेरी कठिनाइयों में गीता का जीवंत प्रमाण हैं, मेरे कंटक भरे पथों में पुष्पों की बहार हैं वो, मेरे हर अनसुलझे प्रश्नों का स्पष्ट सार हैं वो, गुरु सी उपदेशक भी हैं वो, ईश्वर सी सही दिशा निर्देशक भी हैं वो, सौन्दर्यता की अनुपम खान हैं वो, ममता का अतुलनीय मान हैं वो, उसकी मुस्कुराहट बिना जीवन में कुछ भी नहीं, मेरे संपूर्ण आस्तित्व का आधार हैं वो... 👣🙏❤ ©Anamika Patel

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