खाली कोई मलाल दिल में उठते सवाल
क्या है जिंदगी का सिंगार
साथ हो जाऊ सबके
या ले लूं अपनी ऊंची उड़ान
एक परिंदा या कैद पंछी सा
कौन समझे मेरी हर बात
मै, मै रहूं या वो बन जाऊ कठपुतली सा
नाचती डोलती इशारों में सबके
या रुख मोड़ कर नदी बन जाऊ
बैठे रहूं घंटो गंगा घाट पर
या समुंदर के उस पार उतर जाऊं
कौन जाने दिल की बात मेरी
मै कहूं और सुने कौन
ना कोई साथी ना कोई हमदम
बस मैं और मेरी अनकही बात
©Mahiya Mahi
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