White भोर के पंछी! उड जाते हैं, रोजी की तलाश में। | हिंदी कविता

"White भोर के पंछी! उड जाते हैं, रोजी की तलाश में। इज्जत, स्वाभिमान सम्मान, और अपनत्व की प्यास में। शायद! नहीं मिलती है! सारी चीजें इन्हे, फिर पा लेते है जीने के लिए सम्मान। ताकि बची रहे मानवता, इसकी आन बान और शान। क्या चल पायेंगे मानव भी इनकी भातिं? जी पायेंगे स्वाभिमान की स्वाति। ©Jorwal"

 White भोर के पंछी!
उड जाते हैं,
रोजी की तलाश में।
इज्जत,
स्वाभिमान सम्मान,
और अपनत्व की प्यास में।
शायद!
नहीं मिलती है!
सारी चीजें इन्हे,
फिर पा लेते है जीने के लिए सम्मान।
ताकि बची रहे मानवता, 
इसकी आन बान और शान।
क्या चल पायेंगे मानव भी इनकी भातिं?
जी पायेंगे स्वाभिमान की स्वाति।

©Jorwal

White भोर के पंछी! उड जाते हैं, रोजी की तलाश में। इज्जत, स्वाभिमान सम्मान, और अपनत्व की प्यास में। शायद! नहीं मिलती है! सारी चीजें इन्हे, फिर पा लेते है जीने के लिए सम्मान। ताकि बची रहे मानवता, इसकी आन बान और शान। क्या चल पायेंगे मानव भी इनकी भातिं? जी पायेंगे स्वाभिमान की स्वाति। ©Jorwal

#sad_quotes @Rakesh Srivastava @gudiya @Author kunal @kiran kee kalam se Praveen Storyteller

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