मैंने अपनी ख्वाहिशों को मरते देखा है
रात में आंसुओं को बिखरते करते देखा है।
संघर्ष देखा है त्याग देखा है।
नींदों से खुद को डरते देखा है।
अपने हाथों से अरमानों कत्ल करते देखा है
मैंने खुद को ऊंचाइयों से गिरते देखा है।
लोगों की खुदगर्जी देखा है बुरे वक्त में बेदर्दी देखा है
समय को हाथ से बिखरते करते देखा है।
अपनों को बिछड़ते देखा है।
खुद को बगावत करते देखा है
मैंने खुद को अकेले में मरते देखा है।
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©Monu Kumar
#life