तेरी पनाहों में आकर के ठहर जाना है सफर नही ये इश्क | हिंदी शायरी

"तेरी पनाहों में आकर के ठहर जाना है सफर नही ये इश्क़ कि चलते जाना है मंजिल पा ली, हसरत नही बाकी कोई तेरा होके रहना है और कहाँ ठिकाना है तुम ना थे, ना खुदा था, ना थी क़ायनात तुम जो हो तो अब वजूद-ए-जमाना है इश्क़ ईमाँ है हमें लोगों को ये जो भी हो बात को उनकी क्या सुनना क्या सुनाना है भूल कर सारे शिकवे गिले दिन भर के अब तो गहराती हुई शाम को सजाना है ना यहाँ मर्जी से आये थे ना मर्ज़ी से जिये जाना है तो बा-होश-ओ-हवास जाना है सूरत-ए-वस्ल मुलाक़ात जिस भरोसे हुई हिज़्र में भी तो भरोसा वही आज़माना है खुद को खुद जीकर तो नही होता है इश्क़ तू मुझ को जी मुझे तुझ को जिये जाना है ©JP Chudasama"

 तेरी पनाहों में आकर के ठहर जाना है
सफर नही ये इश्क़ कि चलते जाना है

मंजिल पा ली, हसरत नही बाकी कोई
तेरा होके रहना है और कहाँ ठिकाना है

तुम ना थे, ना खुदा था, ना थी क़ायनात
तुम जो हो तो अब वजूद-ए-जमाना है

इश्क़ ईमाँ है हमें लोगों को ये जो भी हो
बात को उनकी क्या सुनना क्या सुनाना है

भूल कर सारे शिकवे गिले दिन भर के
अब तो गहराती हुई शाम को सजाना है

ना यहाँ मर्जी से आये थे ना मर्ज़ी से जिये
जाना है तो बा-होश-ओ-हवास जाना है

सूरत-ए-वस्ल मुलाक़ात जिस भरोसे हुई
हिज़्र में भी तो भरोसा वही आज़माना है

खुद को खुद जीकर तो नही होता है इश्क़
तू मुझ को जी मुझे तुझ को जिये जाना है

©JP Chudasama

तेरी पनाहों में आकर के ठहर जाना है सफर नही ये इश्क़ कि चलते जाना है मंजिल पा ली, हसरत नही बाकी कोई तेरा होके रहना है और कहाँ ठिकाना है तुम ना थे, ना खुदा था, ना थी क़ायनात तुम जो हो तो अब वजूद-ए-जमाना है इश्क़ ईमाँ है हमें लोगों को ये जो भी हो बात को उनकी क्या सुनना क्या सुनाना है भूल कर सारे शिकवे गिले दिन भर के अब तो गहराती हुई शाम को सजाना है ना यहाँ मर्जी से आये थे ना मर्ज़ी से जिये जाना है तो बा-होश-ओ-हवास जाना है सूरत-ए-वस्ल मुलाक़ात जिस भरोसे हुई हिज़्र में भी तो भरोसा वही आज़माना है खुद को खुद जीकर तो नही होता है इश्क़ तू मुझ को जी मुझे तुझ को जिये जाना है ©JP Chudasama

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