"इस मंजर में साथ तुम होते
हमारी तबाही का तमाशा तुम भी देखते
किस क़दर मिटता है कोई चाहत में
ये तुम समझ , फिर किसी के संग दग़ा न करते
गर इस मंजर में साथ तुम होते......"
इस मंजर में साथ तुम होते
हमारी तबाही का तमाशा तुम भी देखते
किस क़दर मिटता है कोई चाहत में
ये तुम समझ , फिर किसी के संग दग़ा न करते
गर इस मंजर में साथ तुम होते......