डूबते को किनारा नहीं मिलता हर सांझ सूरज भी तन्हा

"डूबते को किनारा नहीं मिलता हर सांझ सूरज भी तन्हा ही ढलता उजाले के साथ ही अस्तित्व हैं वरना बिन उजाले तो खुद का अक्स भी साथ नहीं चलता ©Shivani Gautam"

 डूबते को किनारा नहीं मिलता 
हर सांझ सूरज भी तन्हा ही ढलता
उजाले के साथ ही अस्तित्व हैं 
वरना बिन उजाले तो खुद का अक्स भी साथ नहीं चलता

©Shivani Gautam

डूबते को किनारा नहीं मिलता हर सांझ सूरज भी तन्हा ही ढलता उजाले के साथ ही अस्तित्व हैं वरना बिन उजाले तो खुद का अक्स भी साथ नहीं चलता ©Shivani Gautam

#उजाले के साथ अस्तित्व

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