सुकुन की तलाश मे तु फिरा इधर उधर, था मगर जहाँ छिपा गयी नही वहाँ नजर
तु सोचता रहा यही,तु सोचता रहा यही के एक दिन मिलेगा वो जब मिलेगा
सब तुझे हाँ तभी दिखेगा वो ,तु छोड आया इक शहर, तु छोड आया इक शहर
तु छोड आया इक गली जिंदगी के संग चला वो जिधर जिधर चली,
✍️पल्लवी महाजन
©AB FREEDOM
सुकुन की तलाश मे तु फिरा इधर उधर, था मगर जहाँ छिपा गयी नही वहाँ नजर
तु सोचता रहा यही,तु सोचता रहा यही के एक दिन मिलेगा वो जब मिलेगा
सब तुझे हाँ तभी दिखेगा वो ,तु छोड आया इक शहर, तु छोड आया इक शहर
तु छोड आया इक गली जिंदगी के संग चला वो जिधर जिधर चली,
ये नयी सी थी जगह ,ये नयी सी थी जगह आंसमां भी था नया,
तु उ्डा बोहोत मगर फिर जरा सा थक गया,
इस उडान ने तुझे ,था यहा बोहोत दिया, इस उडान ने तुझे था यहा बोहोत दिया ,
चाहतो को पर तेरी नया मकाम दिख गया ,तु फिर उडा ये सोच कर,तु फिर उडा ये सोच कर