White कि ख़्वाबों में अक्सर जिसे निहारता हूँ मैं, कहीं वो तुम तो नहीं।
कि ख़्यालों में अक्सर जिसे पुकारता हूँ मैं, कहीं वो तुम तो नहीं।sk
आंखे बंद हों या खुली, किसी के पास होने का एहसास सा होता है।
जिसे आंखों से दिल तक उतारता हूँ मैं, कहीं वो तुम तो नहीं। sk
कि कभी हवा में लहराती जुल्फें किसी की छूँ जाती हैं मुझे।
आंखे बंद कर जिसकी जुल्फें सँवारता हूँ मैं, कहीं वो तुम तो नहीं। sk
कि कभी लगता है कोई देख रहा है अपनी झील सी आंखों से मुझे।
मैं जिसकी झील सी आंखों में पल गुजरता हूँ, कहीं तुम वहीं तो नहीं।sk
जिसके होने के अहसास से मैं कोई भी गलती करने से डरता हूँ।
जिसके इंतजार में, मैं खुद को सुधारता हूँ, कहीं तुम वही तो नहीं।sk
संदीप कुमार
©Sundeep Kumar Sk
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