White उलझा हुवा तू क्यों?
रब की नेमत तो तुझ पर भी थी
तेरी ख्वाहिशें इतनी बड़ी की
हर खुशी ख्वाहिशों ने छीन ली
दिया रब ने तुझको भी,पर तुझे
फिर भी कम ही लगा, ज्यादा
पाने के लालच में खुद का चैन
भी ना बचा
उलझा हुवा तू क्यों?
जाल अपना खुद आप बनाया
सारी दुनियां का भोझ उठाया
सबके बदले का काम खुद ही किया
पर फिर भी एक छोटा सा सुखद
अहसास ना पाया, धन मिला पर
सुकून खोकर, भोजन मिला पर
भूख खोकर, परिवार मिला,पर
शांति खोकर
ये जीवन रे इंसान तू इसका सार न
समझ पाया...
©पथिक..
#Deep #thought