सुनो! अपना इश्क़ छोड़ आया था तुम्हारे पास,
जरा वापस करा दो न,
ब्याज करदिये सारें माफ,
जितना दिया वही लौटा दो न।
रूठना, टूटना, बिखरना इतना नही था हमारा सफर
झुठ है , सबको यही बता दो न,
नाराज़गी सिर्फ बातो में, आँखों मे आज भी प्यार है
झूटी ही सही अफवाह फैला दो न।
मैं चैन से सोता था रातों में कभी,
अब तुम्हारे इंतेज़ार की लत हटा दो न,
मेरे अलावा कोई और नही, झूठ है,
पर तुम यकीन दिला दो न।
गर जो अब न लौट पाओ तो,
कोई सच्ची वजह बता दो न,
नही चाहिए कुछ ज्यादा इश्क़ तुमसे,
जितना दिया वही लौटा दो न।
©विनय
#dearzindgi