फिर एक वक्त ऐसा भी आया कि,
उसके साथ रिश्ता बोझ सा लगने लगा,
उसका सच भी अब झूठ लगने लगा,
कभी मेरी सुबह ही उसकी आवाज़ से हुआ करती थी,
अब मन उससे दूर होने को करने लगा,
एक दिन बात नहीं हुई,
दो दिन बात नहीं हुई,
ऐसे करते करते अरसा हुआ,
बुरा लगा बहुत बुरा लगा,
पर अब इस सबकी आदत हो गई,
मुझे लगता था कि मैं बहुत खास हूँ उसके लिए,
वो दिन भर कॉल पर दिखता था,
पर वक़्त नहीं था मेरे लिए,
मैं खुद की ही नज़रों में आम हो गयी,
क्या सच में मुझे उससे प्यार था?
ये सवाल भी बेतुका सा लगने लगा।।
©Kiran Chaudhary
फिर एक दिन ऐसा भी आया।।