ज्ञानार्जन का साहस देकर मुस्काती दिखती मां हिंदी | हिंदी कविता

"ज्ञानार्जन का साहस देकर मुस्काती दिखती मां हिंदी पढ़ लिखकर नूतन रचने का ऐसा यश देती मां हिंदी यहां अनेकों भाषा बोली एक सूत्र यह बांधे बोली जब शब्दों ने आंखें खोली काव्य सजे मानो रंगोली भाषा दूजी समझ ना आयी तुमरे पास सहजता पायी बहुत धनी है अपनी माई बोलो हिंदी मेरे भाई सदानन्द कुमार समस्तीपुर बिहार ©Sadanand Kumar"

 ज्ञानार्जन का साहस देकर 
मुस्काती दिखती मां हिंदी 
पढ़ लिखकर नूतन रचने का 
ऐसा यश देती मां हिंदी 

यहां अनेकों भाषा बोली 
एक सूत्र यह बांधे बोली 
जब शब्दों ने आंखें खोली 
काव्य सजे मानो रंगोली 

भाषा दूजी समझ ना आयी
तुमरे पास सहजता पायी
बहुत धनी है अपनी माई
बोलो हिंदी मेरे भाई
सदानन्द कुमार 
समस्तीपुर बिहार

©Sadanand Kumar

ज्ञानार्जन का साहस देकर मुस्काती दिखती मां हिंदी पढ़ लिखकर नूतन रचने का ऐसा यश देती मां हिंदी यहां अनेकों भाषा बोली एक सूत्र यह बांधे बोली जब शब्दों ने आंखें खोली काव्य सजे मानो रंगोली भाषा दूजी समझ ना आयी तुमरे पास सहजता पायी बहुत धनी है अपनी माई बोलो हिंदी मेरे भाई सदानन्द कुमार समस्तीपुर बिहार ©Sadanand Kumar

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