उभरना तो पड़ेगा , हर पल खुटते इन्सान से ।
सब कुछ नही मिलता, ऐसे झुठे अधिकार से।।
क्या व्यर्थ ओरो को घाव देना ,मिथ्या अभिमान से ।
जिंदगी चलती नही एकमात्र शब्दो के वार से ।।
जीने के लिए हर रोज भिड़ना पड़ता ,अपने आप से ।
की भेडियो के झुंड में , वो लड़ता हर एक खूंखार से।।
क्या मिला अब तक मुझे , उस कमजोर इंसान से।
लड़ना तो पड़ेगा , अपने अंदर झुपे हैवान से।।
©Raje
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