जज़्बात समेटते - समेटते कब आँखें छलक जाती है मालूम | हिंदी Shayari Vid

"जज़्बात समेटते - समेटते कब आँखें छलक जाती है मालूम ही नहीं होता @AA ©Strange Narrator "

जज़्बात समेटते - समेटते कब आँखें छलक जाती है मालूम ही नहीं होता @AA ©Strange Narrator

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