काश मेरे हिस्से भी थोड़ी तेरी खुदाई मिल जाए,,,
कैद हूं उसकी यादों के पिंजरे में,,
ज्यादा कुछ नहीं बस उसके साथ बिताए पलों से रिहाई मिल जाए।।
अरसे से हूं आस में,,
वो घुली हैं मेरी हर सांस में,,
तू तरस खाए मेरे हालातो पर....
मैं खुद को खुद में तलाश लूं ....
ऐ खुदा•••
काश मुझे उससे वो जुदाई मिल जाए।।
©KAJAL The Poetry Writer
#addiction
काश मेरे हिस्से भी थोड़ी तेरी खुदाई मिल जाए,,,
कैद हूं उसकी यादों के पिंजरे में,,
ज्यादा कुछ नहीं बस उसके साथ बिताए पलों से रिहाई मिल जाए।।
अरसे से हूं आस में,,
वो घुली हैं मेरी हर सांस में,,
तू तरस खाए मेरे हालातो पर....
मैं खुद को खुद में तलाश लूं ....