#Labour_Day कभी छोटू, कभी रामू काका, तो कभी जमुना

"#Labour_Day कभी छोटू, कभी रामू काका, तो कभी जमुना बाई , तो कभी पसीने से तर-बतर रिक्शा और ठेला खिंचते! कभी ऊँची ऊँची अट्टालिकाआओं पर अपने घरों का तामम भार उठाये! हाँ घर से कोसों दूर, कभी बेघर, तो कभी मजबूर, हाँ सही सूना आपने... मजदूर हम मजदूर! ©अभि"

 #Labour_Day कभी छोटू,
कभी रामू काका,
तो कभी जमुना बाई ,
तो कभी पसीने से तर-बतर
रिक्शा और ठेला खिंचते!
कभी ऊँची ऊँची अट्टालिकाआओं पर
अपने घरों का तामम भार उठाये!
हाँ घर से कोसों दूर, 
कभी बेघर, तो कभी मजबूर,
हाँ सही सूना आपने... 
मजदूर हम मजदूर!

©अभि

#Labour_Day कभी छोटू, कभी रामू काका, तो कभी जमुना बाई , तो कभी पसीने से तर-बतर रिक्शा और ठेला खिंचते! कभी ऊँची ऊँची अट्टालिकाआओं पर अपने घरों का तामम भार उठाये! हाँ घर से कोसों दूर, कभी बेघर, तो कभी मजबूर, हाँ सही सूना आपने... मजदूर हम मजदूर! ©अभि

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